मध्यप्रदेशराज्य

ओंकारेश्वर सोलर फ्लोटिंग परियोजना का काम अटका

भोपाल । भले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का फोकस सौर ऊर्जा पर बना हुआ है, लेकिन इस मामले में राज्य सरकारों की रुचि कम ही है, जिसकी वजह से ऊर्जा के इस क्षेत्र में काम गति नहीं पकड़ पा रहा है। ऐस ही राज्य मप्र भी है। प्रदेश में हालत यह है कि सौर ऊर्जा के लिए खरीददार ही नहीं मिल पा रहे हैं, जिसकी वजह से देश की सबसे बड़ी ओंकारेश्वर सोलर फ्लोटिंग परियोजना का काम आगे ही नहीं बढ़ पा रहा है। दरअसल, अभी इस परियोजना से दो सौ मेगावॉट बिजली का उत्पादन होता है , लेकिन 100 मेगावॉट के लिए खरीददार ही नहीं मिल रहे हैं। यह बात अलग है कि सरकार चाहे तो इस बिजली को खरीद सकती है, लेकिन उसकी रुचि इसकी जगह कोयला से बनने वाली बिजली में अधिक है। जिसकी लागत भी अधिक आती है और पर्यावरण को भी नुकसान अधिक होता है। यही वजह है कि अब इस परियोजना को लेकर निवेशकों में अरुचि पैदा हो गई है। परियोजना के दूसरे चरण में 300 मेगावॉट बिजली का सोलर सिस्टम लगाने के लिए के लिए तीन बार टेंडर जारी किए गए लेकिन निजी कंपनियां आगे नहीं आ रही हैं। इस समय ओंकारेश्वर में सोलर संयंत्रों से 200 मेगावॉट बिजली तैयार हो रही है। सरकार 100 मेगावाट खरीद रही है। बाकी 100 मेगावॉट बिजली खरीदने के लिए कोई कंपनी आगे नहीं आई है। अब सरकार 100 मेगावॉट बिजली नगरीय निकायों और निगम मंडलों को देने पर विचार कर रही है।
दरअसल, यहां पर बनने वाली बिजली की लगत कम हो ने से वह करीब सवा दो रुपए यूनिट में मिल रही है। इससे निकायों को सस्ती बिजली मिलने से उनका आर्थिक भार कम होगा। यही वहज है कि इसके लिए चार बार  टेंडर जारी होने के बाद भी सोलर सिस्टम लगाने कोई भी कंपनी अभी तक आगे नहीं आई है। गौरतलब है कि मध्य और उत्तर भारत की सबसे बड़ी तैरती इस सौर परियोजना का नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला ने आठ अगस्त 2023 को इसका शुभारंभ किया था।
तीन कंपनियां कर चुकी हैं निवेश
ओंकारेश्वर में 600 मेगावॉट के फ्लोटिंग सोलर प्रोजेक्ट लगाया जाना है। इन परियोजनाओं में वर्तमान में तीन कंपनियों ने अपना संयंत्र लगा लिया है, जिससे 200 मेगावॉट बिजली तैयार होती है। दूसरे चरण की परियोजना के लिए सोलर संयंत्र लगाने के लिए चौथी बार फि र टेंडर जारी किए गए हैं। इसके लिए ऊर्जा विकास निगम निवेशकों का तलाश कर रही है। दूसरे चरण में भी 300 मेगावॉट के संयंत्र लगाए जाना हैं।
सस्ती खरीदकर मंहगी बेंचने की योजना
बताया जाता है कि ओंकारेश्वर से जो बिजली तैयार की जा रही है, उसकी दरें सबसे (दो-सवा दो रुपए प्रति यूनिट) कम है। अब सरकार तीन रुपए में बिजली बेचने की बातचीत कर रही है। इससे निवेशक बढ़ सकते हैं। जिस तरह से रीवा जिले के सोलर पॉवर के लिए सरकार ने दिल्ली मेट्रो से बिजली खरीदने के संबंध में अनुबंध किया था, उसी तरह से अन्य संस्थानों की तलाश की जा रही है।
पानी की भी होगी बचत
परियोजना के दो मकसद हैं। इसमें पहला है पानी के ऊपर बिजली तैयार करना, दूसरा वाष्पीकरण को रोकना। सोलर पैनल लगने के बाद ओंकारेश्वर जल परियोजना के पानी का वाष्पीकरण कम हो जाएगा। इससे 60 से 70 फीसदी पानी बचेगा जो भोपाल की 124 दिन की जरूरत के बराबर होगा। इस तरह से इस परियोजना का उद्देश्य कार्बन उत्सर्जन में 2.3 लाख टन ष्टह्र2 की उल्लेखनीय कमी लाना है, जिससे वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन प्राप्त करने के भारत के लक्ष्य को पूरा किया जा सके।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button